Welcome to Reunion IAS

REUNION IAS DEAR STUDENT NEW BATCH START POLITICAL SCIENCE(OPT)WITH 2nd PAPER BY V.K.TRIPATHI ON 9 OCTOBER 2023(MONDAY)(TIME 10:00-12:00)MOB: 9999421659-58

REUNION IAS DEAR STUDENT NEW BATCH START GS-II WITH SOCIAL JUSTICE BY V.K.TRIPATHI ON 9 OCTOBER 2023 (MONDAY) )TIME 12:30-2:30) MOB: 9999421659-58

Courses Images

Course Description

सिविल सेवा परीक्षा के दृष्टिकोण से राजनीति विज्ञान व्यापक एवम् बहुआयामी प्रासंगिकता रखता है क्योंकि इसके अंतर्गत आनेवाले विभिन्न पहलू जो विभिन्न प्रश्न पत्रा के पहलुओं से संबंध्ति हैं जिसका लाभ प्रतियोगी छात्रों को प्रारम्भिक परीक्षा से साक्षात्कार परीक्षण तक मिलता है। यदि सम्यक् रणनीति बनाकर कुशल मार्गदर्शन में तैयार की जाये तो वर्तमान पाठ्यक्रम में अध्कि से अध्कि अंक लाकर कम से कम समय में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

सभी विषय अपने आप में अनुशासनात्मक रूप से सुदृढ़ होता है लेकिन अंतर अनुशासनात्मक रूप से सभी विषय एक दूसरे से अंतर्संबंध्ति होता है क्योंकि प्रत्येक विषय का सम्बन्ध् परीक्षा के समग्र ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, भौगोलिक परिप्रेक्ष्य, मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य, दार्शनिक परिप्रेक्ष्य, अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य तथा आत्मविश्लेषणात्मक परिप्रेक्ष्य आदि से होता है। इन सभी तत्वों को दृष्टिगत रखते हुए विषय का चुनाव व्यवहारिक पहलुओं के आधर पर किया जाय।

Course Syllabus

राजनीतिक विज्ञान विषय का वैकल्पिक विषय के रूप में लाभ

  • सामान्य अध्ययन-II (शासन व्यवस्था, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध) के 250 अंक की तैयारी हो जाती है।
  • यह निबंध् में पूर्णतया सहायक होती है। अतः 250 अंक के लिए हमें पुनः तैयारी करने की जरूरत नहीं पड़ती और समय की बचत होती है।
  • लेखन शैली में आपके विचार व्यापक रूप से मजबूत हो जाते हैं क्योंकि किसी भी मुद्दों को आप वैश्विक, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा संवैधानिक रूप से सोचने समझने लगते हैं।
  • राजनीति विज्ञान का वैकल्पिक विषय के रूप में 500 अंक की तैयारी हो जाती है।
  • सामान्य अध्ययन-IV में किसी घटनाक्रम को संवैधानिक मूल्यों (संविधानवाद) के परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण क्षमता को सुदृढ़ करता है साथ ही नैतिक विचारकों पर गहनता आती है।
  • सामान्य अध्ययन-I के अंतर्गत आने वाले उपविषय जो निम्न हैं।
    1. स्वतंत्रता के पश्चात् देश के अंदर एकीकरण और पुनर्गठन।
    2. उपनिवेशवाद, उपनिवेशवाद की समाप्ति, राजनीति दर्शन शास्त्र, जैसे-साम्यवाद, पूंजीवाद, समाजवाद आदि के रूप और समाज पर उनका प्रभाव।
    3. भारतीय समाज पर भूमण्डलीकरण का प्रभाव।
    4. सामाजिक सशक्तीकरण, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद और धर्म-निरपेक्षता।
    इन उपर्युक्त उपविषयों को आप वैकल्पिक विषय राजनीति विज्ञान में अपने उपविषयों के रूप में पढ़ेंगे अतः सामान्य अध्ययन-I के इन उपविषयों की भी आपको तैयारी हो जाती है।
  • सामान्य अध्ययन-III के अंतर्गत आने वाले उपविषय निम्न है। - सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियों एवं उनका प्रबंधन, संगठित अपराध् और आतंकवाद के बीच संबंध्। इन उपर्युक्त उपविषयों को आप अपने वैकल्पिक विषय राजनीति विज्ञान में वैश्विक मुद्दों के रूप में तैयार करेंगे अतः सामान्य अध्ययन-III के रूप में भी यह सहायक सिद्ध होगी।
  • यदि आप वैश्विक राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक स्तर पर तैयार होकर किसी भी मुद्दे को इस स्तर पर सोचने समझने लगते हैं तो निश्चित तौर पर आप साक्षात्कार के लिए तैयार हो जाते हैं।
  • सामान्यतः सम्पूर्ण पाठ्यक्रम अध्ययन में 4 से 5 माह का समय लगता है और सप्ताह में 5 से 6 कक्षाएँ चलती हैं। जिसमें 2:30 से 3:00 घण्टे की कक्षा होती है। प्रत्येक टॉपिक के अंत में टेस्ट का आयोजन किया जाता है तथा उसकी जाँच स्वयं व्याख्याता द्वारा की जाती है और प्रतियोगी को उनकी समस्याओं से व्यक्तिगत रूप से अवगत कराया जाता है, जिससे विद्यार्थियों को मुख्य परीक्षा के प्रति आत्मविश्वास पैदा किया जा सके। कई बार विद्यार्थियों द्वारा प्रश्नों की प्रकृति को न समझ पाने के कारण उत्तर लेखन स्तरीय नहीं बन पाता अतः इस समस्या के समाधान हेतु व्याख्यान के दौरान प्रश्नों की विभिन्न प्रकृति के साथ उत्तर लेखन पर बल दिया जाता है। राजनीति विज्ञान का पाठ्यक्रम व्यापक और बहुआयामी होने से समग्र रूप से किताबों में उपलब्ध् नहीं हो पाता इसलिए प्रत्येक टॉपिक पर समग्र विश्लेषणात्मक नोट्स कक्षा प्रारम्भ होने के पहले या टॉपिक समाप्त के तुरंत बाद उपलब्ध् कराया जाता है। राजनीति विज्ञान के समग्र विषय वस्तु पर विगत वर्षों में संघ लोक सेवा आयोग तथा प्रादेशिक लोक सेवा आयोगों (यूपी, बिहार, एम.पी., राजस्थान, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड आदि) द्वारा पूछे गये प्रश्नों को समेकित रूप से प्रश्नकोष के रूप में उपलब्ध कराया जाता है। प्रतियोगी छात्रों द्वारा आत्मविश्वास निरंतर बनाए रखने के लिए कक्षा के दौरान या कक्षा के बाहर व्यक्तिगत रूप से समस्या का समाधान किया जाता है। विगत वर्षों में पूछे गए तथा संभावित प्रश्नों के आदर्श उत्तर (Model Answer) भी पाठ्यक्रम के टॉपिक के अनुसार उपलब्ध् कराया जाता है। राजनीति विज्ञान के विद्यार्थियों को साक्षात्कार हेतु व्याख्याता द्वारा व्यक्तिगत मार्गदर्शन उपलब्ध् कराया जाता है।
    1. राजनैतिक सिद्धांत: अर्थ एवं उपागम
    2. राज्य के सिद्धांत: उदारवादी, नवउदारवादी, मार्क्सवादी, बहुलवादी, पश्च-उपनिवेशोत्तर एवं नारीवाद।
    3. न्याय: रॉल्स के न्याय के सिद्धांत के विशेष संदर्भ में न्याय के संप्रत्यय एवं इसके समुदायवादी समालोचक।
    4. समानता: सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक, समानता एवं स्वतंत्रता के बीच संबंध; सकारात्मक कार्य।
    5. अधिकार: अर्थ एवं सिद्धांत: विभिन्न प्रकार के अधिकार; मानवाधिकार की संकल्पना।
    6. लोकतंत्र: क्लासिकी एवं समकालीन सिद्धांत: लोकतंत्र के विभिन्न मॉडल, प्रतिनिधि, सहभागी एवं विमर्शी।
    7. शक्ति, प्राधान्य, विचारधारा एवं वैधता की संकल्पना।
    8. राजनैतिक विचारधाराएँ: उदारवाद, समाजवाद, मार्क्सवाद, फासीवाद, गाँधीवाद एवं नारीवाद।
    9. भारतीय राजनैतिक चिंतनः धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र एवं बौद्ध परंपराएं, सर सैयद अहमद खान, श्री अरविंद, एम.के. गाँधी, बी. आर. अम्बेडकर, एम.एन. रॉय।
    10. पाश्चात्य राजनैतिक चिंतन: प्लेटो, अरस्तु, मैकियावेली, हॉब्स, लॉक, जॉन एस. मिल, मार्क्स, ग्रामशी, हन्ना आरेण्ट।
    भारतीय राष्ट्रवाद:
    कद्ध भारत के स्वाधीनता संग्राम की राजनैतिक कार्यनीतियां: संविधानवाद से जन सत्याग्रह, असहयोग, सविनय अवज्ञा एवं भारत छोड़ों, उग्रवादी एवं क्रान्तिकारी आन्दोलन, किसान एवं कामगार आन्दोलन।
    ;खद्ध भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के परिप्रेक्ष्य: उदारवादी, समाजवादी एवं माक्र्सवादी, उग्रमानवतावादी एवं दलित।
    2- भारत के संविधान का निर्माण: ब्रिटिश शासन की विरासतऋ विभिन्न सामाजिक एवं राजनैतिक परिप्रेक्ष्य।
    3- 3. भारत के संविधान की प्रमुख विशेषताएं: प्रस्तावना, मौलिक अधिकार तथा कर्तव्य, नीति निर्देशक सिद्धांत, संसदीय प्रणाली एवं संशोधन प्रक्रिया; न्यायिक पुनर्विलोकन एवं मूल संरचना सिद्धांत।
    4- क. संघ सरकार के प्रधान अंग: कार्यपालिका, विधायिका एवं सर्वोच्च न्यायालय की विचारित भूमिका एवं वास्तविक कार्यप्रणाली।
    ख. राज्य सरकार के प्रधान अंग: कार्यपालिका, विधायिका एवं उच्च न्यायालयों की विचारित भूमिका एवं वास्तविक कार्य प्रणाली।
    5- आधारिक लोकतंत्रा: पंचायती राज एवं नगर शासनऋ 73वें एवं 74वें संशोधनों का महत्वऋ आधारिक आन्दोलन।
    6- सांविधिक संस्थाएं/आयोग: निर्वाचन आयोग, नियंत्राक एवं महालेखा परीक्षक, वित्त आयोग, संघ लोक सेवा आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग।
    7- संघराज्य प(ति: सांविधानिक उपबंध, केन्द्र राज्य संबंधों का बदलता स्वरूप, एकीकरणवादी प्रवृत्तियां एवं क्षेत्राीय आकाक्षाएंऋ अंतर-राज्य विवाद।
    8- योजना एवं आर्थिक विकास: नेहरूवादी एवं गाँधीवादी परिप्रेक्ष्य, योजना की भूमिका एवं निजी क्षेत्रा, हरित क्रान्ति, भूमि सुधार एवं कृषि संबंध, उदारीकरण एवं आर्थिक सुधार।
    9- भारतीय राजनीति में जाति, धर्म एवं नृजातीयता।
    10- दल प्रणाली: राष्ट्रीय एवं क्षेत्राीय राजनैतिक दल, दलों के वैचारिक एवं सामाजिक आधार, बहुदलीय राजनीति के स्वरूपऋ दबाव समूह, निर्वाचक आचरण की प्रवृत्तियां, विधायकों के बदलते सामाजिक-आर्थिक स्वरूप।
    11- सामाजिक आन्दोलन: नागरिक स्वतंत्राताएं एवं मानवाधिकार आन्दोलन, महिला आन्दोलन, पर्यावरण आन्दोलन।
    1- तुलनात्मक राजनीति: स्वरूप एवं प्रमुख उपागम; राजनैतिक अर्थव्यवस्था एवं राजनैतिक समाजशात्रीय परिप्रेक्ष्य, तुलनात्मक प्रक्रिया की सीमाएं।
    2- तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य में राज्यः पूंजीवादी एवं समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं में राज्य के बदलते स्वरूप एवं उनकी विशेषताएं तथा उन्नत औद्योगिक एवं विकासशील समाज।
    3- राजनैतिक प्रतिनिधान (Represenation) एवं सहभागिता: उन्नत औद्योगिक एवं विकासशील समाजों में राजनैतिक दल, दबाव समूह एवं सामाजिक आन्दोलन।
    4- भूमंडलीकरण: विकसित एवं विकासशील समाजों से प्राप्त अनुक्रियाएं।
    5- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के अध्ययन के उपागम आदर्शवादी, यथार्थवादी, मार्क्सवादी, प्रकार्यवादी एवं प्रणाली सिद्धांत ।
    6- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में आधारभूत संकल्पनाएं: राष्ट्रीय हित, सुरक्षा एवं शक्ति, शक्ति संतुलन एवं प्रतिरोध, पर-राष्ट्रीयकर्ता एवं सामूहिक सुरक्षा, विश्व पूंजीवादी अर्थव्यवस्था एवं भूमंडलीकरण।
    7- बदलती अंतर्राष्ट्रीय राजनीति व्यवस्था:
    (क) महाशक्तियों का उदयः कार्यनीतिक एवं वैचारिक द्विध्रुवीयता, शास्त्रीयकरण की होड़ एवं शीत युद्ध, नाभिकीय खतरा।
    (ख) गुटनिरपेक्ष आन्दोलन: उद्देश्य एवं उपलब्धियां।
    (ग) सोवियत संघ का विघटन: एकध्रुवीय विश्व एवं अमेरिकी प्रभुत्व, समकालीन विश्व में गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की प्रासंगिकता।
    8- अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का उद्भव: ब्रेटनवुड से विश्व व्यापार संगठन तक, समाजवादी अर्थव्यवस्थाएं तथा पारस्परिक आर्थिक सहायता परिषद्, नव अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की तृतीय विश्व की मांग, विश्व अर्थव्यवस्था का भूमंडलीकरण।
    9- संयुक्त राष्ट्र: विचारित भूमिका एवं वास्तविक लेखा-जोखा; विशेषीकृत संयुक्त राष्ट्र अभिकरण - लक्ष्य एवं कार्यकरण, संयुक्त राष्ट्र सुधारों की आवश्यकता।
    10- विश्व राजनीति का क्षेत्रीयकरण: EU, ASEAN, APEC, SAARC, NAFTA
    11- समकालीन वैश्विक सरोकार: लोकतंत्र, मानवाधिकार, पर्यावरण, लिंग न्याय, आतंकवाद, नाभिकीय प्रसार।
    1. भारत की विदेश नीति: विदेश नीति के निर्धारक; नीति निर्माण की संस्थाएं; निरंतरता एवं परिवर्तन।
    2. गुट निरपेक्षता आन्दोलन को भारत का योगदान: विभिन्न चरण, वर्तमान भूमिका।
    3. भारत और दक्षिण एशिया
    क. क्षेत्रीय सहयोग: SAARC - पिछले निष्पादन एवं भावी प्रत्याशाएं।
    ख. दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र के रूप में।
    ग. भारत की पूर्व अभिमुखन नीति।
    घ. क्षेत्रीय सहयोग की बाधाएं: नदी जल विवाद; अवैध सीमा पार उत्प्रवासन; नृजातीय द्विन्द एवं उपप्लव; सीमा विवाद।
    4. भारत एवं वैश्विक दक्षिण: अफ्रीका एवं लातीनी अमेरिका के साथ संबंध, NIEO एवं WTO वार्ताओं के लिए आवश्यक नेतृत्व की भूमिका।
    5. भारत एवं वैश्विक शक्ति केन्द्र: संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप संघ, जापान, चीन और रूस।
    6. भारत एवं संयुक्त राष्ट्र प्रणाली: सयुक्त राष्ट्र शान्ति अनुरक्षण में भूमिका; सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता की मांग।
    7. भारत एवं नाभिकीय प्रश्न: बदलते प्रत्यक्षण (Perception) एवं नीति।
    8. भारतीय विदेश नीति में हाल के विकास: अफगानिस्तान में हाल के संकट पर भारत की स्थिति, इराक एवं पश्चिम एशिया, यू.एस. एवं इजराइल के साथ बढ़ते संबंध, नई विश्व व्यवस्था की दृष्टि।
    राजनीति विज्ञान वैकल्पिक विषय के प्रत्येक प्रश्न पत्रा के लिए रीयूनियन संस्थान द्वारा मुख्य परीक्षा पठ्नीय सामग्री उपलब्ध् कराई जाती है।
    1. पाश्चात्य राजनितिक विचारक – प्रो. के. एल. कमल
    2. भारतीय राजनीतिक विचारक - बी.आर.पुरोहित
    3. राजनीतिक सिद्धांत - जे.सी. जोहरी
    4. भारतीय शासन एवं राजनीति - सुभाष कश्यप, डॉ. रूपा मंगलानी
    5. राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन - बिपिन चन्द्र
    6- समकालीन अंतर्राष्ट्रीय संबंध् - आर.सी.बरमानी
    7- अंतर्राष्ट्रीय/क्षेत्रीय संगठन - एम.पी. रॉय
    8- अंतर्राष्ट्रीय संबंध् - बेलिस स्मिथ ओवेन (आक्सफोर्ड प्रेस)
    9- भारतीय विदेश नीति - आर.एस.यादव
    10- वर्ल्ड फोकस, इंडिया टुडे, द हिन्दू।