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REUNION IAS DEAR STUDENT NEW BATCH START GS-II WITH POLITY BY V.K.TRIPATHI ON 19-JUNE-2024(WEDNESDAY) TIME 1:30 PM TO 3:30 PM,) MOB: 9999421659-58

REUNION IAS DEAR STUDENT NEW BATCH START GS-IV ETHICS BY V.K.TRIPATHI ON 19-JUNE-2024(WEDNESDAY) TIME 4:30 PM TO 6:30 PM,) MOB: 9999421659-58

REUNION IAS DEAR STUDENT NEW BATCH START POLITICAL SCIENCE(PSIR) WITH INDIAN THINKER BY V.K.TRIPATHI ON 19-JUNE-2024(WEDNESDAY) TIME 10:30 AM TO 1:00 PM) MOB: 9999421659-58

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Course Description

शासन व्यवस्था, शासन-प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध्

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा परिमार्जित सिविल सेवा के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए हमारे संस्थान द्वारा सामान्य अध्ययन-II की तैयारी क्रमानुसार टॉपिक के तहत करवाई जाती है। बदलते परिवेश में भारतीय राजव्यवस्था तथा प्रशासन एक ऐसी चाबी बन गई है जिसके द्वारा हम सफलता को पा सकते हैं। वैसे तो सभी विषयों का समान योगदान है लेकिन इस प्रश्न पत्र का परिप्रेक्ष्य सभी प्रश्न पत्र के लिए बहुउपयोगी बन गया है तभी इस प्रश्न पत्र में राज्य, समाज, तथा वैश्विक परिप्रेक्ष्य का समावेश किया गया है ताकि आप ये समझ जाय कि शासन व्यवस्था का अन्य क्षेत्रों में क्या योगदान है जिससे इसके प्रति जागरूक हो सके।

प्रशासन और राजनीतिक व्यवस्था नागरिकों के बहुआयामी व्यक्तित्व के विकास के साधन बन गये हैं इन तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए अध्ययन करना आवश्यक हो गया है। कक्षा के दौरान सभी विषयों का गहन और सूक्ष्म अध्ययन कराने के साथ तथ्यात्मक पहलू पर भी बल दिया जाएगा जिससे अवधरणा पर गहनता के साथ सामान्य समझ बन सके। यह प्रतियोगियों में अंतर अनुशासनात्मक पद्धति के साथ विषय के व्यावहारिक सामाजिक पहलुओं की समझ विकसित करने में मददगार साबित होगा। इस प्रश्न पत्र के अध्ययन करने के साथ ही सभी टॉपिक के अंत में सभी विषय वस्तु पर मुख्य परीक्षा से सम्बंधित टेस्ट का आयोजन नियमित अंतराल (प्रत्येक सप्ताह) पर किया जाता है। जिससे प्रतियोगियों में जटिल और घुमावदार प्रश्नों के प्रति समझ विकसित हो सके और उनके अंदर मुख्य परीक्षा के प्रति आत्मविश्वास निरंतर बढ़ सके।

Course Syllabus

शासन व्यवस्था, शासन-प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध् से सम्बंधित प्रमुख तथ्य में लाभ

  • साधारणतया इसका अध्ययन सतही रूप से किया जाता रहा है लेकिन सिविल सेवा परीक्षा में रणनीति के स्तर पर बदलाव की आवश्यकता है जैसे संकल्पना का विकास पहले किया जाय इसके उपरांत उसका पाठ्यक्रम और निरंतरता के साथ उसे समेकित किया जाय।
  • परीक्षा में निश्चित समय एवं शब्द सीमा के दायरे में रहकर उत्तर लिखना बाध्यता एवं आवश्यकता दोनों है अत; व्यवस्थित, सारगर्भित, संक्षिप्त तथा प्रश्न के संदर्भ में बार-बार उत्तर लेखन करने से वास्तविक एवम् प्रासंगिक लेखन शैली का विकास किया जा सकता है।
  • इस प्रश्न पत्र में सैद्धांतिक और व्यवहारिक दोनों पहलू शामिल हैं मूल संकल्पनाओं/सिद्धांतों के अध्ययन से विषय की व्यापक जानकारी करके समसामयिक व्यवहार को सरलता से जोड़ा जा सकता है जैसे लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका।
  • इस विषय वस्तु का बहुआयामी परिपे्रक्ष्य होने के कारण निबंध् और साक्षात्कार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे-गरीबी और भूख से सम्बंधित विषय, ई-गवर्नेंस अनुप्रयोग, स्वास्थ्य, शिक्षा।
  • प्रतियोगियों को प्रश्नों की जटिल प्रकृति न समझ पाने के कारण उत्तर लेखन स्तरीय नहीं हो पाता है। इस समस्या के समाधान हेतु व्याख्यान के दौरान ही विभिन्न प्रकृति के प्रश्नों के प्रारूप के बारे में जानकारी उपलब्ध् करायी जाती है। साथ ही संबंधित प्रश्न के अलावा अन्य संभावित प्रश्नों पर परिचर्चा होती है।
  • पाठ्यक्रम व्यापक और बहुआयामी होने के कारण प्रासंगिक सामग्री सामान्यतः किताबों में उपलब्ध् नहीं हो पाती अतः प्रत्येक टॉपिक पर समग्र विश्लेषणात्मक नोट्स कक्षा प्रारम्भ होने से पूर्व संस्थान द्वारा उपलब्ध् करा दिया जाता है।
  • अध्ययन के दौरान संघ लोक सेवा आयोग के पाठ्यक्रम के अलावा प्रादेशिक लोक सेवा आयोगों के पाठ्यक्रमों पर भी परिचर्चा की जाती है।
  • मुख्य परीक्षा के किसी भी टॉपिक की तैयारी उस समय तक समाप्त नहीं होती जब तक टेस्ट के द्वारा आकलन नहीं हो जाता अतः कक्षा कक्ष के अध्ययन के साथ नियमित टेस्ट एवं परिचर्चा की अलग योजना है जिसका उद्देश्य केवल प्रश्न पत्र उपलब्ध् कराना या गणपूर्ति करना नहीं है बल्कि उन सभी कमियों को दूर करना है जिनकी जानकारी सामान्यतः प्रतिभागियों को तैयारी करने के क्रम में एवं परीक्षा हॉल में बैठने के पूर्व तक नहीं हो पाती है।
  • संस्थान द्वारा ‘आदर्श उत्तर’ तथा प्रश्नकोष उपलब्ध कराया जाता है जिससे विद्यार्थियों को उत्तर लेखन का उचित मार्ग दर्शन मिल सके तथा उनमें आत्म विश्वास आ सकें।
  • 1- भारतीय संविधन-ऐतिहासिक आधर, विकास, विशेषताएं, संशोध्न, महत्वपूर्ण प्रावधन और बुनियादी संरचना,
    2- संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढांचे से संबाध्ति विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।
    3- संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढांचे से संबाध्ति विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।
    4- भारतीय संवैधनिक योजना की अन्य देशों के साथ तुलना।
    5- संसद और राज्य विधयिका-संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियां एवं विशेषाध्किार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
    6- कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य-सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक / अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।
    7- जनप्रतिनिध्त्वि अध्निियम की मुख्य विशेषताएँ।
    8- विभिन्न संवैधनिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधनिक निकायों की शक्तियां, कार्य और उत्तरदायित्व।
    9. सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अधरः-न्यायिक निकाय।
    10. लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका
    1- सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
    2- विकास प्रक्रिया तथा विकास उद्योग गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दानकर्ताओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका।
    3- केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन, इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिए गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय,
    4- स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाध्नों से संबंध्ति सामाजिक क्षेत्रा-सेवाओं के विकास और प्रबंध्न से संबंध्ति विषय।
    5- गरीबी और भूख से संबंध्ति विषय।
    6- शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेस- अनुप्रयोग, माॅडल, सपफलताएं, सीमाएं और संभावनाएं। नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपाय।
    1- भारत एवं इसके पड़ोसी-संबंध्।
    2- द्विपक्षीय, क्षेत्राीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंध्ति और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
    3- भारत के हितों, भारतीय परिदृश्य पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
    4- महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच उनकी संरचना, अध्दिेश
    भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन व्यवस्था-संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राजव्यवस्था, सार्वजनिक ;लोकद्ध नीति, अधिकार संबंधी मुद्दे आदि अंतर्राष्ट्रीय संबंध एवं संस्थाएँ एवं समसामयिकी घटनाएँ
    संस्थान द्वारा उपलब्ध् कराये गए नोट्स
    संस्थान द्वारा उपलब्ध् कराये गए समसामयिक नोट्स
    छब्म्त्ज् की पुस्तकें
    डी.डी. बसु भारत का संविधन एक परिचय
    ए.एस. नारंग, भारतीय शासन एवं राजनीति
    मानव अध्किार, जंेडर एवं पर्यावरण, तपन बिस्वाल।
    भारत की विदेश नीति एक विश्लेषण, आर.एस. यादव।